Tribute to Sardar Patel in Hindi | Why Integration Day Celebrated

Who is Sardar Patel :

जन्म  और  प्रारंभिक जीवन  :-

Sardar Patel – वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 October, 1875 में  गुजरात जिले के खेड़ा जिले के  नदिआद गांव में हुआ था | उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था और  माता का  नाम लड़बा  था | इनके पिता एक किसान और Freedom Fighter थे | उन्होंने 1957 की क्रांति में  एक बड़ा योगदान  दिया था | वल्लभभाई पटेल की आर्थिक स्थिति शुरू में बहुत कमजोर थी, वो अपने मित्रो से books मांगकर पढ़ाई करते थे |

 उनकी शादी मात्र 16 साल की उम्र में झावेरबा के साथ  कर  दिए  गया, जिससे अब उनका एक बेटा Dahyabhai और एक बेटी Maniben पटेल का जन्म हुआ | वल्लभभाई पटेल  अब अपने पत्नी संग गोधरा में रहने लगे | 1909 में  उनकी पत्नी बुरी तरह Cancer से पीड़ित हो गयी और उनका  देहांत हो गया |

        भारत का लौह  पुरुष – सरदार  वल्लभभाई पटेल

Iron Man Of India  –   Sardar Ballabbhai Patel

शत्रु  का  लोहा, भले  ही गरम हो,   लेकिन हथोड़ा तो,   ठंडा रहकर ही, काम दे सकता है|  –  सरदार  वल्लभभाई पटेल

शिक्षा :-

उन्होंने  10वी class की पढाई  N.K. High School Petlad, Gujarat से की| वल्लभ भाई पटेल अपने जीवन में  बैरिस्टर  बनना  चाहते  थे इसलिए वो अपने परिवार से कई दिनों तक दूर रहे | कई  सारी  तकलीफो  के बीच  भी  उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की |  वल्लभ भाई पटेल ने  36 वर्ष की उम्र में Middle Temple In London में 36 महीने  के   बैरिस्टर  के course को केवल 30 महीने  में ही पूरा  कर लिया  और बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की |

 England लौटने  के बाद उन्होंने गोधरा में ही बैरिस्टर की practice शुरू कर दिए  | practice पूरी करने के  बाद उन्हें एक गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा |

जब वो England में  रहते थे तो वो  English lifestyle   से काफी  प्रभावित  हुए थे |  भारत  में  आने   के बाद  उनका  lifestyle  पूरी  तरह  बदल  गया, उन्हें  english  में  बात  करना  शुरू  कर  दिया  और  सूट  और टाई  भी  पहनना  शुरू  कर  दिया | उस समय वो अहमदाबाद  के मशहूर वकीलों में  से  एक थे और  उन्हें  आपराधिक मामलों का सर्वेष्ट  वकील  मन  जाता  था |

वल्लभ भाई पटेल राजनीति में  रुचि  नहीं रखते  लेकिन  उनके  दोस्तों  के कहने  पर  उन्होंने 1917 में अहमदाबाद  के  नगरपालिका  चुनावो में लड़े |

इस चुनाव में उनकी जीत हासिल हुई | शुरुआत में  वल्लभभाई पटेल महात्मा  गांधी  और  उनके  विचारों  को  पसंद  नहीं  करते  थे | उनका  कहना  था  की  रोज  अनशन  करने  से  आज़ादी  नहीं  मिलेगी  इसके  लिए  लड़ना  होगा | लेकिन  चम्पारण  के  सत्याग्रह  से वो महात्मा  गांधी से बहुत  प्रभावित  हुए  |

असहयोग  आंदोलन  के  दौरान उन्होंने  अंग्रेजी  कपड़ो  को  जला दिया और  धोती  कुर्ता  पहनने  लगे | 

Who is Sardar Patel

वल्लभ भाई पटेल को सरदार  क्यों  कहा जाता  है? :-

1928 में  गुजरात  के  कुछ  किसानों  की फसल  ख़राब  हो गयी  थी | और अंग्रेज़ो ने  किसानो के ऊपर Tax को 6% से बढाकर 22%  कर दिया और कहा की तुम Tax  नहीं दोगे तो हम तुम्हारी जमीन छीन लगे | तब किसान  गाँधी  के पास आये और  गांधीजी ने वल्लभ भाई पटेल को भेजा |

वल्लभ भाई पटेल ने जमीन  बचाने के  लिए  एक plan बनाया |

वल्लभ भाई पटेल के बहुत सारे गुप्तचर थे, उन्होंने गुप्तचरों  से कहा कि तुम लोग रोज पता लगाओ कि  आज  कोन से  किसान  की  जमीन  अँगरेज़  हड़पेंगे | 

इन्हे  पता था की जमीन तभी अंग्रेज़ो  के नाम होगी जब किसान जमीन के  papers पर signature या अंगूठा लगाएगा |  जैसे   ही  गुप्तचर  उन्हें  बताते  थे  की  आज  इस किसान  की  जमीन  अंग्रेज़  छीन  लेंगे,  वल्लभ भाई पटेल   उस किसान को गायब करा देते थे |  और जब किसान गायब अंग्रेज़ ढूंढते रहते की ये किसान कहा गया | अब  जिसकी जमीन नीलाम होनी होती थी, वो किसान गायब हो जाता था |  वल्लभ भाई पटेल एक-एक किसान को गायब करवाते थे और दो महीने  बाद वापस लाते थे | अब अंग्रेज़ परेशांन हो गए थे, ना तो उन्हें  मिल रहा  है  tax और ना ही जमीन | अंग्रेज़ों ने बाद में माफ़ी मांग ली और टैक्स को 22% से 6% कर दिया |

इससे किसान बहुत खुश हुए  और उन्होंने कहा कि आज से  आप वल्लभ भाई पटेल  नहीं है, बल्कि आप सरदार वल्लभ भाई पटेल  है | इस तरह से   सरदार की उपाधि दी गयी |

the iron man of india

आखिर वल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री क्यों नहीं बने? :-

1947 में जब अंग्रेज़ वापस जा रहे थे, तब  उसके लिए  congress की एक committi बना ली गयी और  यह decide हुआ की इस  बार जो अध्यक्ष चुना जाएगा वो स्वंत्र भारत  का पहला प्रधानमंत्री होगा | अब अध्यक्ष  के लिए committi में  voting करायी गयी और देश के  सभी प्रांतीय कमिटी ने अपना vote दिया |

उस कमिटी में गाँधी, नेहरू, बल्लभभाई पटेल, आज़ाद कृपलानी, राजेंद्र प्रसाद और कई लोग थे | जब voting box को check किया गया तो सभी  लोग हैरान हो गए, उसमे  से नेहरू को कोई भी वोट नहीं मिला था,  बल्लभभाई पटेल को 12 vote तथा आज़ाद कृपलानी को 2 vote मिले थे|

जब  गांधी जी  से  उनकी  राय  पूछी  गयी  तो उन्होंने  नेहरू   से पूछा की नेहरू तुम्हें  किसी  ने  vote  नहीं दिया, सबने  वल्लभ भाई पटेल को वोट दिया है| इसकी  बारे   में तुम्हारा क्या राय है | नेहरू ने  कुछ नहीं बोला, वो अपना सिर नीचे झुकाये थे | गाँधी  को  यह  बात समझ आ गयी की  नेहरू  दूसरे  No  की  position नहीं  चाहते  है, और प्रधानमंत्री वही बनना चाहते है |  गांधी भी अंदर से  यही चाहते थे  की  उनको प्रधानमंत्री  बनाया  जाए | गाँधी ने वल्लभ भाई पटेल को  एक  कागज  में  कुछ  लिखकर   दे  दिया| जैसे ही  वल्लभ भाई पटेल ने  यह कागज पढ़ा, उन्होंने कहा की मै अध्यक्ष के  पद से  दावेदारी वापस लेता हु |  वल्लभ भाई पटेल उस एकलब्य की तरह थे जो गाँधी को द्रौणाचार्य मानते थे, लेकिन गाँधी नेहरू को अर्जुन मानते थे | committi  में सभी लोगो को समझ में आ गया की  गाँधी ने  वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री बनने से मन कर दिया है |

Sardar Patel pm kyu nhi bane

जब पत्रकारों ने गाँधी से  पूछा कि आपने वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनने  दिया जबकि पूरा  देश उन्हें प्रधानमंत्री के  रूप  चाहती थी, क्या  आप उन पर भरोसा  नहीं करते |

 गाँधी  ने  कहा मै  पूरी  तरह वल्लभ भाई पटेल पर भरोसा करता हु | अगर  नेहरू  प्रधानमंत्री  न  बनता  तो वह  नाराज़  हो जाता  और  congress  को  तोड़  देता  और अगर  कांग्रेस  टूट  जाता  तो अंग्रेज़  फिर  से  हावी  हो  जाते |

इसीलिए मुझे ये कदम उठाना पड़ा |

आखिरकार वल्लभ भाई पटेल को देश का पहला उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बनाया गया |

वल्लभ भाई पटेल को  लौह  पुरुष  क्यों कहा  जाता है? :-

1947 में  partition  के दौरान एक मीटिंग की गयी, Mountbatten को यह decision लेना था की कौन-कौन सी  चीज़े भारत को मिलेगी और कोनसी पाकिस्तान को | Mountbatten  ने  कहा की मुझे  दोनों तरफ से एक एक लीडर चाहिए |

पाकिस्तान के  तरफ से जिन्ना आ गया और गांधी ने भारत की तरफ से वल्लभ भाई पटेल  को भेजा गया | वल्लभ भाई पटेल  ने बोला की जिन्ना हम तुझे आधा आधा कुछ नहीं देंगे, लगभग 80% भारत को मिलेगा  और  20% पाकिस्तान को क्युकी तेरे देश में जनसंख्या कम  है और  तेरा देश  भी  छोटा  है |

 उस समय भारत  के पास 400 करोड़ ही थे, जिन्ना ने कहा की 200 हमे दे दो | वल्लभ भाई पटेल ने  कहा की नहीं हम तुम्हे सिर्फ़ 75 करोड़ देंगे क्युकी तुम्हारे पास जनसख्या और खर्च दोनों ही कम है | 

Why integration day celebrated

अब जिन्ना ने दूसरी मांग की कहा की मुझे नोट printing machine दे दो, वल्लभ भाई पटेल गुस्सा होकर बोले अपना देश बना रहे  हो क्या हर चीज़ मांगोगे क्या, भिखारी हो, अपनी प्रिंटिंग मशीन खुद बना लेना |

हद   तो तब  हो  गयी  की  जब  जिन्ना  ने  कहा  की  अपना  Intelligence  Bureau  हमें दे दो, वल्लभ भाई पटेल ने कहा कि देखो देश  का बटवारा हो रहा है हमारे Secrets  का नहीं,  जिन्ना  का यहां भी बेइज्जती हो गयी |

अब  भारत तो आज़ाद हो गया था लेकिन भारत  में कई सारी समस्या थी| देश में  562 देसी रियासते थी जिनपे अंग्रेज़ो का कोई ज़ोर नहीं चलता था जिस कारण वो ज्यो का त्यों छोड़कर england चले गए थे | अब वल्लभ भाई पटेल का सबसे बड़ी जिम्मेदारी  थी की इन्  रियासतो को भारत में जोड़ना | और जल्द ही सूझबूझ और कड़ी मेहनत से लगभग सारी रयासते भारत में आ गयी थी|

पर जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान में  शामिल होना चाहता था और हैदराबाद  का निज़ाम  हैदराबाद को स्वंत्रत राज्य बनाना चाहता है | लेकिन जूनागढ़ की जनता भारत  में शामिल होना चाहती थी  जिस कारण वल्लभ भाई पटेल को जनता का साथ मिला और नवाब को जान बचाकर पाकिस्तान भागना पड़ा |

भारत को  आज़ादी मिले हुए एक साल हो चुके थे लेकिन हैदराबाद  का निज़ाम भारत से  अलग ही रहा  तब गम्भीतापूर्वक सोचते हुए  वल्लभ भाई पटेल ने 13 September, 1948 को हैदराबाद  में  सैन्य कार्यवाही करने का आदेश दिया जिसका आदेश Operation Polo रखा गया आखिरकार निज़ाम को अपने घुटने टेकने पड़े |  इस  ऑपरेशन की खास  बात  यह  थी की  इसमें  कोई  व्यवक्ति  घायल  नहीं  हुआ |

जिसके  कारण  वल्लभ भाई पटेल को Iron Man  Of India की उपाधि दी गयी | और  आज हम उन्हें लौह पुरुष के  नाम से  जानते है |

मृत्यु  :-

15 December, 1950 को वल्लभ भाई पटेल का Heart Attack के  कारण देहांत हो गया |  आज उन्ही की देन है कि भारत एक देश है  अगर वो न  होते तो शायद ही भारत  कई  हिस्सों  में बटा  होता |

उनके  जन्मदिन 31 October को भारत में National Integration Day (राष्ट्रीय एकता दिवस) के रूप में  मनाया जाता है |

साल 2018 में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182m की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बनायी गयी| इस  मूर्ति को बनाने में पुरे 4 साल का समय लगा|

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