Mirabai Chanu एक भारतीय वेट लिफिटिंग महिला खिलाडी है जिन्होंने टोक्यो में चले रहे Olympic 2021 में पहले ही दिन सिल्वर मैडल जीतकर इतिहास रच दिया है| मीराबाई चानु एक उच्च दर्जे की खिलाडी और जब वो मुकाबले में उतरती है तो भारत को अपना एक मैडल पक्का तो लगता ही है| मीराबाई चानू की जिंदगी काफी मुश्किलों और संघर्षो से घिरी रही लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े खेल प्रतियोगिता में मैडल जीतकर ये साबित कर दिया की, -“मुश्किलें चाहे जितनी भी हो पर Clear Goal आपको मंजिल तक पंहुचा ही देता है|”
Mirabai Chanu Biography इस बार टोक्यो ओलंपिक्स में बेसब्री से है और क्या आप तैयार है उनके बारे में जानने के लिए? तो चलिए, बताते है आपको उनके बारे में|
मीराबाई चानु रजत पदक ( Mirabai Chanu in Olympics 2021 ) :
हालही में Mirabai Chanu ने Tokyo Olympics 2021 भारत के लिए वेट लिफ्टिंग में 49किलोग्राम कैटेगरी में रजत पदक जीतकर देश के नाम को रौशन किया है| यह पदक टोक्यो ओलंपिक्स में भारत का पहला पदक है |

Mirabai Chanu का जन्म –
मणिपुर के पूर्वी इम्फाल जिले के नौगटोकांची गांव में मीराबाई चनु का जन्म एक गरीब परिवार में 8 अगस्त 1994 को हुआ| मीराबाई चानू का पूरा नाम साइखोम मीराबाई चानू है |
मीराबाई चानू एक मध्यम और गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है इनकी माता जी गृहणी होने के साथ साथ एक दुकानदार है नाम साइखोम ऊंगाबी तोम्बी लिमा है| इनके पिता पीडब्लूडी डिपार्टमेंट में काम करते है जिनका नाम साइखोम कृति मैतई है|
मीराबाई चानू का करियर(Mirabai Chanu Career) –
ये मैडल जीतने का सफर शुरू हुआ था जंगल से लकडिया काटकर चूल्हा जलाने के लिए घर तक लकड़ी का बोझा ले जाने तक| मीराबाई चानू बचपन से ही लकड़ियों के बोझो या बंडल को बड़े आराम से उठा लेती थी और उन बोझो को भी जिन्हे उनके भाई नहीं उठा पाते थे|
जब मीराबाई 12 साल की हुई तब उनकी माँ ने उनके इस टैलेंट को पहचाना | पर ये तो अभी चानु के संघर्ष की शुरुवात थी| शुरू में पैसे की कमी होने से मीराबाई चानू बांस के लकड़ियों में रेत की बोरिया बांधकर प्रैक्टिस किया करती थी| वो सुबह 4 उठकर अपने गांव से 22 किलोमीटर दूर इम्फाल में प्रैक्टिस करने के लिए जाया करती थी |
मणिपुर का गांव पहाड़ो में बासा था अतः रोज 22 किलोमीटर आना और जाना आसान काम नहीं था लेकिन मीराबाई चानू ने इसे अपने सपनो के आड़े नहीं आने दिया| 2014 के कामनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मैडल जीतकर मीराबाई चानु सबके नज़रो में आयी पर उनका सपना तो ओलंपिक्स में मैडल जीतना था|

ब्राज़ील ओलंपिक्स के बाद डिप्रेशन में चली गयी थी मीराबाई चानू –
2016 में हुए ब्राज़ील ओलंपिक्स में मीराबाई चानू भार उठाने में असफल रही और अपने पहले ही मुकाबले के बाद वो ओलंपिक्स से बाहर हो गयी | इस हार से चानू पूरी तरह से निराश हो गयी और डिप्रेशन में चली गयी |
और इस डिप्रेसन से उन्हें बाहर निकाला द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित उनके कोच विजय शर्मा ने | विजय शर्मा ने ना सिर्फ चानू बल्कि उनसे पहले और उनके बाद भी कई खिलाड़ियों को तराशा है, उन्हें तैयार किया है और उनका मनोबल बढाकर एक सर्वश्रेष्ठा खिलाडी बनाया है|
उनके मार्गदर्शन में चानू ने एक बार फिर से लड़ने के लिए अपने आप को तैयार किया और कड़ी मेहनत की और उसका नतीजा आज हम सभी के सामने है |
ओलंपिक्स में भारत को Weight lifting में 21 साल बाद कोई मैडल मिला है और ये कारनामा कर दिखाया मीराबाई चानू ने| इन्होने ये कारनामा प्रतियोगिता में 202 किलो वजन उठाकर किया है जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है |

मीराबाई चानू रिकार्ड्स (Mirabai Chanu World Reccord)-
. मीराबाई चानु ने साल 2017 में हुई वेट लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मैडल हासिल किया था | इसके पहले साल 2014 में भी इन्होने गलास्गो में संपन्न हुए कामनवेल्थ गेम्स में भी 48 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मैडल जीता था |
. साल 2018 में मीराबाई चानू ने कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल हासिल कर भारत को पहला गोल्ड दिलवाया| यह गोल्ड भी महिलाओ के 48 किलोग्राम वेट लिफ्टिंग में है|
. मीराबाई ने 2016 में गुवाहाटी में संपन्न हुए बारहवे साउथ एशियन गेम्स में भी गोल्ड मैडल हासिल किया था |
. सम्मान : साल 2018 में मीराबाई चानू के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें राजीव गाँधी खेल रतन और पद्मा श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था| टोक्यो ओलंपिक्स में गोल्ड मैडल जीतने पर मणिपुर की सरकार ने उन्हें 1 करोड़ रुपये देने का घोषणा किया|
मीराबाई चानु अपने साथ रखती है शिवजी और बजरंगबली की फोटो –
मीराबाई चानू जहा भी जाती है वो हमेशा अपने पास शिवजी और बजरंगबली की फोटो अपने पास रखती है| चानू जब टोक्यो ओलंपिक्स में शामिल होने के लिए गयी तो वहा पे जाकर सबसे पहले उन्होंने अपने कमरे में जाकर बजरंगबली की फोटो लगाई और उनकी पूजा की |

मीराबाई चानू की जीवन से सिख –
चानू की ये उपलब्धि कई तरीको से विशेष कही जा सकती है पहला तो ये कि इतनी ज्यादा गरीबी से निकल कर उन्होंने अपनी मेहनत से खुद को इतने मुकाम तक पहुंचाया |
दूसरा – उन्होंने 49 kg वर्ग में ओलंपिक्स में पहले ही दिन पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया | और तीसरा – ये उन लोगो के मुँह पर करारा तमाचा है जो पूर्वोत्तर भारत के लोगो को चीनी और दूसरे ग्रह का प्राणी मानते है |
ये हमारे देश की विडम्बना है की ये टीवी कलाकार जिनके पास अपने माँ बाप के नाम के आलावा कुछ भी नहीं है उनपर मीडिया दिन रात चौकीदारों की तरह पहरा देता है और उनेक जीन्स से लेकर एयरपोर्ट आने जाने की फोटो खींचकर अपने मीडिया को चला रहा है| मीडिया देश की असली हीरोइन के बारे में तभी चर्चा करता है जब वह कुछ जीतते है | टीवी और सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो डालकर ध्यान पाने वाली अभिनेत्री या मॉडल देश की असली हीरोइन नहीं बल्कि चानू और मैरी कॉम जैसी लड़किया देश की असली हीरोइन है |
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