Milkha Singh Biography and Quotes
आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे व्यक्ती की जिसका नाम आज भी खेल जगत मै बड़े ही आदर सम्मान रोमांच के साथ लिया जाता है। वो दौड़ते थे तो हवा को भी पीछे छोड़ दिया करते थे घोड़े की रफ्तार भी उनके सामने कछुए जैसी नज़र आने लगती थी और पैर किसी इंजिन की तरह सरपट भागने वाले थे। इतना पढ़ कर तो भारत के हर व्यक्ती के मन मै एक ही नाम आएगा और है भारत के महान Racer Milkha Singh जिन्हें सम्मान के तोर पर Flying Sikh भी कहा जाता है। ये नाम कैसे पड़ा ये भी हम आपको आगे बताएंगे।आज सब हम विस्तार मई बात करेंगे इस आर्टिकल Milkha singh Ji की BIOGRAPHY मै और उनके द्वारा कहे गए कुछ Quotes भी।
एक खिलाड़ी के रूप से जीवन बोहोत कठिन है। लेकिन निश्चित रूप से एक ऐसा समय आता है जब आपका मन करता है या तो खेल छोड़े दे या फिर कोइ शॉर्टकट्स लें जिससे कामयाब हो सकें। लेकिन सबको याद रखना चाहिए सफलता का कोई Shortcut नही होता। यदि शीर्ष तक पहुंचना है तो अपने अस्तित्व को समाप्त करना होता है।

प्रारंभिक और पारिवारिक जीवन
Milkha Singh जी का जन्म 20 November 1929 को एक Sikh परिवार मै Govindpura Punjab में हुआ जोकि बटवारे के बाद से Pakistan का हिस्सा है। इनके परिवार मै इनके माता चवाली कौर पिता सम्पूर्ण सिंह और इन्हे मिला कर कुल 15 भाई बहन हुआ करते थे।
जब भारत पाकिस्तान का बटवारा हुआ उसमे इनके माता पिता समेत 8 भाई बहनों को इनके आंखो के सामने ही मार दिया गया था किसी तरह ये अपनी जान बचा कर भाग आए । और वहां से एक Train पकड़ वह पाकिस्तान से Delhi आ गए। उस समय पाकिस्तान से दिल्ली बिना Train की Ticket लिए आने के लिए उन्हें Delhi के Tihar Jail मै रखा गया Refugees के साथ। लेकिन किसी तरह उनकी एक बड़ी बहन ने और उनके पति ने अपने Jewellery बेच उनकी जमानत करवाई। वो समय उनके लिए कभी ना भूलने वाला समय था।
इनकी शादी Nirmal Kaur से 1962 हुई। जोकि जोकि Indian National Volleyball Team की कैप्टेन हुआ करती थी। इनके एक बेटा है Jeev Milkha Singh or Do बेतिया है।
Milkha Singh जी कहते किसी भी इंसान का अगर पेट खाली हो तो वह देश के बारे मैं केसे सोच सकता है। जब मुझे खाने के लिए रोटी मिली तब मैने देश के बारे मैं सोचना शुरू किया।
शिक्षा
Milkha Singh जी केवल 9वी कक्षा तक ही पढ़े उसके बाद से ही उन्होंने Mechanic के तोर पर काम करना शुरू कर दिया। वह शुरू से ही चाहते थे भारतीए सेना मै भर्ती होना इसके लिए उन्होंने तीन बार भरपूर प्रयास किया। लेकिन असफल रहे। 1991 मै उन्होंने 4थी कोशिश की ओर उसमे वह सफल हुए और भर्ती हो गई।
Milkha Singh जी बताते है की वह बचपन मै 10 Km रोज़ दोदकर घर से School और से घर जाया करते थे और इसी दौड़ ने उन्हे मदद की सेना मै भर्ती होने के लिए। भर्ती के समय Cross Country Race मै वह 6 स्थान पर रहे। सेना मै उन्हे Special Training के लिए चुना गया।
Career
Milkha Singh Ji बताते है उनके Racing मै आने और उनकी सफलता के पीछे कई लोगो का हाथ रहा है।
सबसे पहले वह बताते है हवलदार Gurdev Singh जी के बारे मैं। उन्होंने ही सबसे पहले मिल्खा सिंह जी को दौड़ के खेल के लिए प्रोत्साहित किया और Training देना शुरू किया ।
1955 मै Milkha Singh Ji ने दौड़ मै हिसा लिया और वह 2 दुसरे स्थान पर आए। यह से उन्हे लगने लगा हां मैं यह कर सकता हु। इसके बाद वह सेना मै जीतने भी दौड़ की प्रतियोगिताएं हुआ करती थी Milkha Singh हर एक मै हिस्सा लिया करते थे और उन्हे सफलताएं भी मिलने लगी थी।
धीरे धीरे वह 200,400 Meter की Race के Specialist माने जाने लगे।
1956 Malbourne Olympics मै उन्हे पहली बार भारत की ओर से 200 और 400 Meter की Race मै भारत को Represent करने का मौका मिला। हालाकि उस समय उन्हे कोई सफलता नहीं मिली।

Charles Jakkins
पहली बार Olympics मै भाग ले रहे Milkha Singh की मुलाकात उस Race के विजयता Charles Jakkins से हुई जिन्होने 400 meter मै Gold Medal जीता था।
Charles Jakkins ने उन्हे कहा अपमे एक अच्छे Racer बनने के सभी गुड़ मोजूद हैं। अपको बस अपने Training करने का तरीका बदलने की जरूरत है। और बोहोत महनत करनी होगी अपको अपने आप पर।
उनकी ये बात पूरी तरह से अपने मन मै बैठा कर Milkha Singh जुट गए नए सिरे से शुरुआत करने मै और जी तोड महनत करने लगे।
1958 मै जब राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हुआ तो उन्होने 200,400 Meter मै नए National Record बना दिए। 1958 मै British राष्ट्र मंडल खेलो मै उन्होने Gold Medal जीता।
Tokyo मै जब Asian Games का आयोजन हुआ तो उसमे उन्होंने 45.8 Second मै अपनी Race खतम कर एक World Record बना दिया।
Rashtra Mandal खेलो मै Gold Medal जीतने वाले वह पहले खिलाड़ी बन गई थे।
Flying Sikh नाम कैसे पड़ा ?
1960 मै Pakistan मै एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन होना था सब चाहते थे Milkha Singh भी वहां जाए और देश का नाम रौशन करें। लेकिन Milkha Singh जी नहीं चाहते थे पकिस्तान जाना। कारण था उन्हें पकिस्तान से नफ़रत सी थी। और आखिर क्यों ना हो जिस देश ने उनके पूरे परिवार को मार दिया उनकी आंखों के सामने।
लेकिन Jawahar Lal Nehru के निवेदन के बाद वह मान गए। और पकिस्तान के Racer अब्दुल बसीद कादिर को पछाड़ दिया ।
इस Match को पकिस्तान के राष्ट्रपति General Ayub Khan भी देख रहे थे। और वह Milkha Singh को देख बोहोत प्रभावित हुए। उन्होंने Milkha Singh जी को Medal से सम्मनित करते हुए कहा।
Milkha Singh जी तुसी पकिस्तान दे विच आके दौड़े नही, तुसी पकिस्तान दे विच उड़े हो। आज पकिस्तान अपको Flying Sikh दा खिताब देंदा है।
हालाकि वह उस खिताब को लेकर ज़रा भी खुश नही थे। क्युकी उन्हें वो खिताब पकिस्तान द्वारा मिला था।

Milkha Singh’s Regret
ये वो दौर था जब Milkha Singh अपने खेल जीवन के सर्वस्रेथ फॉर्म मै चल रहे थे। ऐसा अनुमान लगाया जाता था की 1960 के Olympics मै तो वह शत प्रतिशत Gold Medal हासिल करके ही मानेंगे।
Rome Olympics से कुछ दिन पहले France मै एक प्रतियोगिता हुई थी जिसमें 45.8 Seconds मै अपनी दौड़ पूरी करके एक नया Record बनाया था।
1960 की Olympics मै पक्की उम्मीद के साथ उन्होंने डोडना शुरू किया। उन्होंने America के Otis Devis के साथ अपने बाकी के Competitors को हरा चूके थे।
Rome Olympics 400 Meters finals शुरू हुई Milkha Singh जी अपने बाकी प्रतिध्वंधी से आगे दौड़ रहे थे। लेकिन एक समय Race के निर्णायक मोड़ पर उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ की कही वह जरूरत से ज्यादा तेज तो नही दौड़ रहे है उनके मन मै शंका उत्पन्न हो गई कही वह अपने आप को Exaust तो नही कर देंगे। उन्हें लगा कही वह अपनी ऊर्जा खत्म तो नही कर रहे है समय से पहले। इसीलिए उन्होंने पीछे मुड़कर देखना चाहा की उनके प्रीतिधवंद कितना पीछे है।
बस यही उनकी लय टूट गई।और उनका वो उस मोड पर पीछे मुड़कर देखना बोहोत भारी पड़ा। उनके और भारत के हाथ से वह पदक भी चला गया।
इस असफलता से इतने निराश हुए थे Milkha Singh की उन्होने Racing से Retirement का मन बना लिया था। लेकिन लोगो के काफी समझने के बाद उन्होंने वापसी की ओर फिर Asian खेलो के 200Meter और 400 meter की Races मै Gold Medal हासिल किया।
Awards
1959 मै भारत सरकार ने इन्हें Padma Shri से सम्मानित किया।
Milkha Singh Ji को 2001 मै Arjuna Award के लिए सम्मानित किया गया लेकिन Milkha Singh Ji ने वह स्वीकार करने से इंकार कर दिया।

Tokyo Story
Milkha Singh जी Tokyo मै Olympics के लिए गए हुए थे। वापस आते समय वह अपने एक फटे पुराने जूते का जोड़ा वह Tokyo के ही एक Hotel k कमरे मै छोड़ आए। जब वह भारत पहुंच गए उसके कुछ दिन बाद जापान से एक पार्सल आया। जब उन्हें वह पार्सल मिला तो उन्होंने बड़ी ही उत्सुकता से उस Parcel को खोला। उस Parcel मै उनका वही फटा हुआ जूता और एक पत्र निकला जिसमे लिखा था – “आप अपना जूता गलती से हमारे होटल मै भूल गए थे”
हालाकि Milkha Singh Ji वह जूते जान पूछ कर छोड़ कर आए थे। लेकिन वो जूते Milkha Singh Ji बड़े काम आए उन्होंने वो जूते एक auction मैं डाल दिए जिसके उन्हे 24 लाख रुपए मिले। हालांकि वे पैसे Milkha Singh जी ने Charity मैं दान कर दिए।
Milkha Singh जी ने अपनी जीवन पर बन रही फिल्म के लिए कितनी रकम मांगी ?
2013 मै बनी फिल्म Bhaag Milkha bhaag Milkha Singh के जीवन पर ही निर्धारित है। जब उनके जीवन पर फिल्म बनाने की अनुमति लेने राकेश Omprakash Mehra उनके पास पहुंचे और कहा Please हमे अनुमंती दे दीजिए।
Milkha Singh Ji बोले मुझे ये अनुमति देने के लिए केवल एक रुपया चाहिए।
अब Omprakash Mehra जी हैरान हो गए और इतना प्रभावित हो गए इनकी इस बात से और उन्होंने ढूंढना शुरू किया की ऐसा कोनसा एक रुपया है जिसको पाकर Milkha Singh Ji प्रसन्न हो जाए।
तब उन्होंने सोचा की राष्ट्रृ मंडल खेलो मै आज़ाद भारत के लिए अगर किसी ने Gold Medal जीता हैं तो वो मिल्खा Singh Ji ने जीता था 1958 मैं। तो उन्होंने सोचा क्यों न उन्होंने 1958 का एक रुपया का नोट लाकर दीया जाएं। Rakesh OMPRAKASH MEHRA और उनके साथी खोज मै लग गए और कड़ी मुश्किल के बाद उन्होंने कही से वो 1 रुपया का नोट मिल गया।
जब उन्होंने वो नोट Milkha Singh Ji को दिया वह बोहोत प्रसन्न हुए। आज भी उन्होंने उस एक रुपया के नोट को एक कीतमी याद की तरह सजा रखा है।

Milkha Singh Death ( मृत्यु )
आज बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है की आज के दिन वह हमारे बीच नहीं रहे। उन्हे पिछले कुछ दिनों से Corona Virus से संक्रमित थे जिसके कारण आज उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली है। लेकिन वह हमारे यादों मै हमेशा जीवित रहेंगे हमारे ही नही पूरे देश के यादों मै सदेव जीवित रहेंगे। उन्होने जो जो भारत के लिए किया है वे कार्य भूलने के काबिल नही। चाहे वो इस देश को सबसे पहला Olympics मै Gold दिलवाने की बात हो या कई ऐसे Records बनाने के हो। इस देश को Milkha Singh Ji ने बोहोत दिया है ।
To Be Honest हमे बिल्कुल भी खबर नही थी Milkha Singh Ji ki मृत्यु की हम बस उनके बारे मैं last 2–3 दिनों लिख रहे है। और आज खबर आती है वह हमारे बीच नहीं रहे। हमे पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। पर कही नही कही सबको पता था उनकी हालत सही नही अभी। काफी समय से ये खबरे चल रही थी।तो हम बस उन्हे याद करते हुए इन अपने कुछ बाते शेयर करना चाहते थे जिनसे हम प्रेरणा लेते है।