आज हम सब एक आज़ाद देश भारत में साँस लेते है और इस देश को आज़ाद कराया इस देश के महान क्रांतिकारिओं ने| भारत को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद कराने में एक दो नहीं बल्कि हज़ारो लोगो ने अपनी जान दाव पर लगायी और तब जाकर कही अंग्रेज़ो के जुल्म से हमे 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी मिली थी| हलाकि एक समय हर भारतीय के मन में अंग्रेज़ो से स्वंत्रता पाने की चाहत तो थी लेकिन उस समय कोई भी खुलकर अंग्रेज़ो के तानाशाही का विरोध नहीं कर पा रहा था| और ऐसे में भारत के आज़ादी का लिए आवाज़ उठाने का काम किया भारत के स्वंतत्रा संग्राम के पहले योद्धा कहे जाने वाले Mangal Pandey ने जो की पहले तो East India Company की 34th Bengal Native Infantry के एक सिपाही थे| लेकिन बाद में वही उस समय के महान क्रन्तिकारी बनने में कामयाब रहे| तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेगे मंगल पांडेय की पूरी लाइफ स्टोरी और साथ ही अंग्रेज़ो से जंग की वो कहानी जिसने की उन्हें एक सच्चे देश भक्तो की गिनती में ला खड़ा किया। – Biography in Hindi

प्रारम्भिक जीवन और उनका इतिहास(Mangal Pandey history) :
Mangal Pandey का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा नामक गांव में हुआ था| उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो हिन्दू धर्म को बहुत मानते थे| उनके पिता का नाम दिवाकर पांडेय और माँ का नाम अभिरानी पांडेय था| ऐसा कहा जाता है की मंगल पांडेय बचपन से ही शारारिक तौर पर काफी हट्टे कट्टे थे और इसीलिए ईस्ट इंडिया कंपनी के एक सेना अधिकारी ने उन्हें सेना में भर्ती होने की सलाह दी और फिर 1849 में जब वो करीब 22 साल के थे तब East India Company की बंगाल सेना के साथ वो तैनात हो गए| Mangal Pandey बहुत अच्छे सिपाही थे, जिसके बाद उन्हें 34वी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया यहाँ ब्राह्मणो को भारी मात्रा में शामिल किया जाता था|
हालाँकि नौकरी पाने के कुछ सालो के बाद से भारतीय लोगो के अंदर अंग्रेजी हुकूमत की बेकार नीतिओ और उनके साथ किये जा रहे भेद भाव के चलते अंग्रेज़ो के प्रति भारतीय लोगो की नफरत काफी बढ़ चुकी थी| इस समय भारत अंग्रेज़ो के अन्याय से काफी जूझ रहा था| हालाँकि अभी भी लोग पीठ पीछे अंग्रेज़ो की बुराई तो करते थे लेकिन कोई भी सामने आकर कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था|
मंगल पांडे की लड़ाई(Mangal Pandey fight) :
अंग्रेज़ो के जुल्म भारत में बढ़ते ही जा रहे थे, उनके सितम से पूरा देश आज़ादी चाहता था| लेकिन अब शुरू होती है वो कहानी जिसने Mangal Pandey को एक हीरो बना दिया| यह साल चल रहा था 1857 का जब अंग्रेजी सेना की बंगाल यूनिट में राइफल के अंदर नयी तरह की कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ और यह कारतूस कुछ इस प्रकार कि थी इसे बन्दूक में डालने से पहले अपने मुँह से खोलना पड़ता था|
लेकिन थोड़े दिनों के बाद भारतीय सैनिको को जब यह पता चला की, जिन कारतूसों को वो मुँह से खोलकर बन्दूक में डालते थे, उन कारतूसों में गाय और सूअर के चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था| इस बात ने पुरे सेना में हड़कंप मचा दीया| सभी को लगा की अंग्रेज़ो ने हिन्दुओ और मुसलमानो के बीच विवाद पैदा करने के लिए ऐसा किया है| हिन्दू गाय को अपनी माँ सामान मानते है और उनकी पूजा करते है जबकि मुस्लमान सुअरो को पवित्र मानते है| इस हरकत से भारतीय सैनिक अंग्रेजी सेना के खिलाफ खड़े हो गए और सबके अंदर अंग्रेज़ो के खिलाफ बगावत की भावना जाग उठी|

9 फरवरी, 1857 को इस राइफ़ल को सेना में बांटा गया, सबको इसका उपयोग करना सीखाया जा रहा था| जब अँगरेज़ अफसर ने इसे मुँह से लगाकर बताया तो Mangal Pandey ने ऐसा करने से मन कर दिया| इस पर उन्हें अफसर के भी गुस्से का सामना करना पड़ा| इस घटना के बाद उन्हें सेना से निकालने का फैसला लिया गया|
राइफल छीनने को लेकर अंग्रेज़ अफसर ह्युसन की हत्या कर दी :
29 मार्च, 1857 को उनकी वर्दी और रायफल छीनने का फैसला सुनाया गया और जब मेजर ह्युसन मंगल पांडेय की राइफल छीनने’के लिए आगे बढ़ा तो मंगल पांडे ने उसे मौत के घाट उतर दिया| मंगल पांडे ने मदद के लिए अपने दोस्तों के तरफ देखा लेकिन अंग्रेज़ो के डर के मारे कोई भी मदद करने के लिए आगे नहीं बढ़ा| इसके बाद Mangal Pandey ने एक और अँगरेज़ अधिकारी बॉब को मौत के घाट उतार दिया और वहा से फरार हो गए| मंगल पांडेय को यह पता था की वो अंग्रेज़ो से ज्यादा दिनों तक भाग नहीं सकते और इसीलिए उन्होंने खुद को गोली मार ली ताकि वो किसी अँगरेज़ के हाथो न मारे जाए| लेकिन दुर्भाग्य से वो गोली लगने के बाद भी बच गए और घायल अवस्था में अंग्रेज़ो के द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए| इसी तरह से मंगल पांडे अंग्रेज़ो के विरुद्ध आवाज उठाने वाले पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बने|
मंगल पांडे की मृत्यु(Mangal Pandey Death):
इस घटना ने पुरे अंग्रेजी हुकूमत को हिला के रख दिया, मंगल पांडेय को हिरासत में रखा गया जहा उन्हें 1 हफ्ते ठीक होने में लगा| 6 अप्रैल 1857 को Mangal Pandey को कोर्ट में पेश किया गया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी|
Mangal Pandey की फांसी के लिए 18 अप्रैल की तारीख तय हुई लेकिन अंग्रेजी हुकूमत मंगल पांडेय के समर्थन में उठ रही आवाज़ों से काफी डर चुकी थी, इसीलिए मंगल पांडे को 10 दिन पहले ही यानि की 8 अप्रैल `1857 को फांसी दे दी गयी|
जब फांसी का समय आया तो बैरकपुर के जल्लादो ने मंगल पांडे के पवित्र खून से अपना हाथ रगने से इंकार कर दिया तब कलकत्ता से चार जल्लाद बुलाये गए| इस घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर भारतीय सैनिको में भय के स्थान पर विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी| लगभग इसी समय नाना साहेब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मी बाई भी अंग्रेज़ो के खिलाफ मैदान में थे|

इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता के पहले संग्राम के प्रथम नायक बनने का श्रेय मंगल पांडे को मिला| आपको ये भी बता दे की भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में मंगल पांडे के बलिदान दिवस पर ही बम्ब फोड़े थे|
मंगल पांडेय और पहला स्वंत्रता संग्राम :
भारत के लोगो में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति विभिन्न कारणों से गृणा बढ़ती जा रही थी और मंगल पांडेय के विद्रोह ने आग में घी का काम किया| मंगल पांडे के विद्रोह के ठीक एक महीने बाद 10 मई, 1857 मेरठ के सैनिक छावनी में भी बगावत हो गयी और यह बगावत देखते देखते पुरे उत्तरी भारत में फ़ैल गयी|
इस बगावत और मंगल पांडे की सहादत की खबर फैलते ही अंग्रेज़ो के खिलाफ जगह जगह संघर्ष भड़क उठा| लेकिन अँगरेज़ इस विद्रोह को दबाने में सफल हो गए, लेकिन मंगल पांडे द्वारा 1857 में बोया गया क्रांति का बीज 90 साल बाद आज़ादी के वृक्ष में तब्दील हो गया|
इस विद्रोह में सैनिक समेत राजा-रजवाड़े, किसान, और मजदूर भी शामिल हुए और अंग्रेजी हुक़ुमत को करारा झटका दिया| इस विद्रोह ने अंग्रेज़ो को साफ़ सन्देश दे दिया की अब भारत पर राज करना उतना आसान नहीं है जितना वो समझ रहे थे|

अँगरेज़ सरकार मंगल पांडे से इतना भयभीत थी की 1857 के विद्रोह के पश्चात अंग्रेज़ो के बीच ‘ पेंडी ’ शब्द बहुत प्रचलितं हुआ जिसका मतलब होता है गद्दार या विद्रोही| यह शब्द मंगल पांडे के नाम से लिया गया था लेकिन यह शब्द ज्यादा दिन तक ना चल सका|
मंगल पांडे पर बनी फिल्म :
मंगल पांडे के जीवन पर फिल्म और नाटक पदर्शित हुए है और पुस्तके भी लिखी जा चुकी है| सन 2005 में अभिनेता आमिर खान द्वारा अभिनीत ‘Mangal Pandey: The Rising’ पदर्शित हुई| इस फिल्म का निर्देशन केतन मेहता ने किया था| मंगल पांडेय के ऊपर बनी यह फिल्म उस समय काफी विवादों में रही थी| दरअसल इस फिल्म में दिखाया गया है की मंगल पांडेय एक वैस्या से विवाह कर लेते है जबकि असल जिंदगी में उन्होंने किसी भी कन्या से शादी नहीं की थी|
इसके अलावा सन 2005 में ही हैदराबाद के एक थिएटर में ‘The Roti Rebellion’ के नाम से मंगल पांडेय की जीवन की कहनी को लोगो को दिखाई गयी|
जेडी स्मिथ के प्रथम उपन्यास ‘White Teeth’ में भी मंगल पांडे का जिक्र है|

सम्मान :
भारत सरकार ने 5 अक्टूबर, 1984 में मंगल पांडे के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया|