Maharana Pratap Life Story In Hindi

कोन थे महाराणा प्रताप ?

Maharana Pratap life story in Hindi – 7.5 feet के मेवाड़ी राजा Rajasthan के शक्तिशाली राजपूत। जब अकबर पूरे भारत को जीत चुका था तब अकेले मेवाड़ मै महाराणा प्रताप खडे हुए अकबर के खिलाफ। अकबर कभी जीता नही और राणा कभी हारे नही। जब हल्दी घाटी का युद्ध हुआ 80,000 की सेना थी अकबर की ओर 15,000 की सेना थी महाराणा प्रताप की राणा बोलते थी एक आदमी 5 खतम करेगा । यह बात इतिहास बताती है – अकबर की सेना मै दम था और राणा के सीने मै दम था।

Maharana प्रताप का जन्म 9 May 1540 Rajasthan के Kumbhalgarh Fort मै हुआ। उनके पिता महाराजा Udai Singh II थे और माता महारानी Jaiwanta Bai थी। माता Jaiwanti Bai ना केवल इनकी मां थी बल्की उनकी पहली गुरु भी थी।

बचपन से ही महाराणा प्रताप के अंदर leadership की के थी। और उन्होंने बचपन से ही अस्त्र शस्त्र चलाना सीख गए थे। शिशोदिया वंश में और भी लोग थे Bappa Rawal, Rana Hamir, Rana Sangha or Rana Pratap। लेकिन महाराणा सिर्फ सिर्फ Rana Pratap को बोला गया।

महाराज Udai Singh की दूसरी पत्नियां भी थी उनमें से एक थी महाराणी Dheer Bai जो चाहती थी उनका पुत्र Jagmal राजा बन कर मेवाड़ का और बाकी पत्नियां चाहती थी की उनके बच्चे राजा बन जाए। इसी कारण परिवार में अनबन थी। और इसी बात का फायदा अकबर ने उठाया क्युकी वह जानता था इन्ही राजपूतों को आपस मै लाडवा दो कुछ को अपने साथ ले लो बाकियों को खतम करना आसान हो जाएगा। और वही हुआ भी।
एक कहावत है ” जब जब घर टूटेगा तब तब पड़ोसी आकार लूटेगा”।
अकबर ने King of Amer, Todermal , Jai Singh को अपने साथ ले लिया और वह महाराणा प्रताप अकेले पड़ गए।

अकेले होने के बाद भी महाराणा प्रताप कभी हारे नही उन्होंने जंगल मै रहने वाले लोगो (Forest – Dweller) के साथ मिलके सेना बनाई और उन्हें Traning दी और एक सेना त्यार की। ये कभी हारे नही वो आते थे इनके ऊपर Attack करते थे और फिर थोड़े दिनों के लिए इधर उधर निकल कर फिर दुबारा नई सेना त्यार कर फिर खड़े हो जाते। अकबर की सेना मै बहुत दम था लेकिन तब भी न तो ये महाराणा प्रताप को मार सके ना ही उनको पकड़ सके ।

बहलोल खान कोन था ?
बहलौल खान अकबर का सबसे बड़ा सेनापति जो हल्दी घाटी के युद्ध मै आया था। महाराणा प्रताप ने एक तलवार के वार से इन्होंने बहलाेल खान समेत उनके घोड़े को दो हिसा मै चीर डाला।

अकबर और महाराणा प्रताप के बीच बार बार लड़ाइयों का कारण
मेवाड़ अकबर के लिए दिल्ली से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था। गंगा मार्ग के व्यापार मार्ग को ये पश्चिमी तथ को जोड़ता था। अगर Western hemisphere से कुछ भी import करना है कुछ भी export करना हो तो अकबर को मेवाड़ पर करना पड़ता था। मेवाड़ अकबर के लिए बहुत जरूरी बन गया। पूरा भारत अकबर ने जीत रखा था पर मेवाड़ मै महाराणा प्रताप को मंजूर नहीं था।

महाराणा प्रताप और राजाओं जैसे नही थे जिन्हे भोग विलास पसंद करने वालो मै से नही थे। ये बोले मैं अपनी सेना के रहूंगा ये भीलों के बीच मै जाके रहने लगे उनके जैसे ही खाना पीना जमीन पर सोना जंगल मै रहना।
अकबर ने कई बार महाराणा प्रताप को समझने के लिए कई हिंदू राजाओं को जिसमे Todermal, King Maan Singh , BhagwaanDas ko भेजा।

एक बार अकबर ने यह प्रस्ताव भी रखा की आधा हिंदुस्तान तुम्हारे नाम कर देंगे पर मेवाड़ हमारे लिए छोड़ दो। लेकिन महाराणा प्रताप नही माने।

Haldi ghati Yudh – हल्दी घाटी युद्ध

हल्दी घाटी युद्ध 1576 मै हुआ। इतनी छोटी सेना होने के बावजूद महाराणा प्रताप Stretegicaly युद्ध को जीते। महाराणा प्रतात को पहाड़ियों को और घाटियों की अच्छी खासी knowledge थी क्युकी ये वही उनका जन्म हुआ वही घूमे थे। उन्होंने अपने सैनिकों को कहा पहाड़ियों मै ऊपर से और घाटियों मै नीचे से पूरी तरह cover कर लो।
अफगानी राजाओं को भी अपने साथ कर लिया हकीम खान Hakim Khan जो उस समय अकबर के खिलाफ था उसे अपने साथ लेकर आए। बहुत छोटी सेना के बावजूद अकबर के छक्के छुड़ा दिए।

था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तू सवारी करता था।
थी तुझमे कोई खास बात, जो अकबर तुझसे डरता था।

महाराणा प्रताप का चेतक घोड़ा था वह एक मात्र नीले रंग का अफगानी घोड़ा का आई घोड़ा था जो की महाराणा प्रताप के पास था।
और महाराणा चेतक को अपने पुत्र से ज्यादा प्रेम करते थे। महाराणा के पास एक हाथी भी था जिसका नाम था Ramprasad।

1580 मै अकबर ने फिर कोशिश की इस बार अकबर ने अपने अब्दुल रहीम खाना थाना को अकबर का सबसे शक्तिशाली सुबेदार था। उसको सूबेदार नियूक्त किया अजमेर मै और कहा मैं तुम्हे जिम्मेदारी देता हु तुम किसी भी तरह से मेवाड़ जीत कर लेकर दो हम तुम्हे मूह मांगा इनाम देंगे। अगर महाराणा प्रताप को पकड़ लाए।
वही अमर सिंह जो की महाराणा प्रताप के सेनापति थे उन्होंने अब्दुल रहीम खान थाना को confuse करने के लिए एक attack किया। अब्दुल रहीम खान थाना का जैसे ही ध्यान भटका अमर सिंह उनकी बेगम सहित उनके परिवार को बंधी बना लाए। जैसे ही ये बात महाराणा प्रताप को पता चली उन्होंने तुरंत अमर सिंह को बुलाया और कहा युद्ध जंग के मैदान मै होगा औरतों की इज्जत पूरी इज्ज़त से वापिस करेंगे। इसी समय इनको पूरे सम्मान के साथ वापस छोड़ के आओ।
आज भी सब जानते है महाराणा प्रताप स्त्रियों का बहुत सम्मान किया करते थे।
महाराणा प्रताप बोले भूला प्यासा रह के भी मेवाड़ की रक्षा करूंगा अपने प्राण त्याग दूंगा मेवाड़ नही जाने दूंगा।

हजारों कोशिशों के बाद अकबर को समझ आ गया वह महाराणा प्रताप को तो हर नही सकते। तो अकबर मै अपना रास्ता बदल लिया वह फिर मेवाड़ को छोड़ Eastern Side और Southern side चला गया और महाराणा प्रताप ने पूरे मेवाड़ पर फिराई अपना कब्जा कर लिया।

बदलो में वो क्षमता कहा है जो सूरज को रोक सके, शेर की मार सह सके ऐसे सियार ने कभी जन्म नहीं लिया। धरती का पीने के लिए पानी, चातक वो चोंच बनी ही नहीं है. और कुत्ते की तरह जीवन जीने वाले हाथी की बात आजतक सुनी ही नही है।

महाराणा प्रताप की मृत्यु :

इसी सब युद्ध के कुछ महीनो बाद ही महाराणा प्रताप शिकार करने जंगल मै गए थे वही उन्हें शिकार करते वक्त ही accident mai unka दिहांत हो गया।

शेर को मारने के लिए शेर ही चाहिए शेर किसी कुत्ते का शिकार हो जाए ऐसा हो नहीं सकता।

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