गणेश चतुर्थी भारतीयों द्वारा मनाया जाने वाला एक हिन्दू त्योहार है और इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार 10 दिनों का उत्सव है जिसे घरो, मंदिरो और अस्थायी रूप से बने मंच(पंडालों) में भगवान गणेश की मिटटी की मूर्ति की स्थापना द्वारा चिन्हित किया जाता है. शुभ समारोह भगवान गणेश के जन्मदिन का प्रतिक है, जिन्हे सौभाग्य का देवता माना जाता है. यह हिन्दू चंद्र कलैंडर के चौथे दिन भाद्रपद के महीने में अगस्त और सितम्बर के आसपास शुरू होता है. हर साल यह त्योहार पंडालों और स्थानीय समुदायों के माध्यम से बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यदि आप स्थानीय उत्सवों का हिस्सा नहीं बन पा रहे है, तो यहां बताया गया है की आप घर पर गणेश चतुर्थी कैसे मना सकते है.
गणेश चौर्थी का आरम्भ | 10 सितम्बर, शुक्रवार |
गणेश चतुर्थी विसर्जन | 19 सितम्बर, रविवार |
विस्थापन का शुभ मुहूर्त | दोपहर 12:17 से रात 10 बजे तक |
विसर्जन का शुभ मुहूर्त | सुबह 7:49 से रात 10:46 बजे तक |
क्या ना करे? | तुलसी का पत्ता न चढ़ाये, चन्द्रमा को न देखे |
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गणेश चतुर्थी का इतिहास(Ganesh Chaturthi history) :-
भगवान् गणेश, भगवान् शिव और माता पार्वती के छोटे पुत्र है. उनके जन्म के पीछे कई कहानिया है लेकिन उनमे से दो सबसे आम है –
1. पहली कहानी के अनुसार, भगवान् गणेश को माता पार्वती ने महादेव की अनूपस्थिति में उनकी रक्षा के लिए अपने शरीर से गंदगी से बनाया था. जब माता पार्वती नहा रही थी तो उन्होंने भगवान् गणेश को अपने बाथरूम के दरवाजे की रखवाली करने का काम दिया। इसी बीच, महादेव घर लौट आए और गणेश, जो नहीं जानते थे की महादेव कौन है, ने उन्हें रोक दिया। इससे शिव भगवान नाराज हो गए और उन्होंने दोनों के बीच झगडे के बाद गणेश भगवान का सिर काट दिया। जब यह बात माता पार्वती को पता चली तो वो क्रोधित हो गयी, बदले में महादेव ने गणेश को वापस जीवन देने का वादा किया। भगवान शिव ने देवताओं को उत्तर की ओर एक बच्चे के सर की तलाश के लिए भेजा गया था, लेकिन उन्हें केवल एक हाथी का सिर मिला। शिव ने हाथी का सिर बच्चे के शरीर पर टिका दिया, और बताया की कैसे गणेश का जन्म हुआ.
2. अन्य लोकप्रिय कहानी यह है की देवो ने शिव और पार्वती से गणेश बनाने अनुरोध किया ताकि वह राक्षसों के लिए विघ्ननाकर्ता(बाधाओं का निर्माता) बन सके, इस प्रकार विघ्ननाहर्ता(बाधाओं को दूर करने वाले) और देवो की मदद कर सके.
गणेश चतुर्थी पूजा विधि(Ganesh chaturthi puja vidhi) :-
प्रातः काल जागने के बाद सभी दैनिक कामो से निवृत होकर स्नान करे. इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए गणपति का धयान करे. एक साफ़ चौकी पर पीले रंग का कपडा बिछाकर इसके ऊपर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करे. गंगा जल का छिड़काव करके पुरे स्थान को पवित्र करे. भगवान श्री गणेश को पुष्प की मदद से जल अर्पित करे. इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, नारियल और मिठाई भगवान समर्पित करे. भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाए। सभी चढ़ावा के बाद भगवान गणेश का धुप, दीप और अगरबत्ती से आरती करे. मंत्र जाप के बाद कथा का श्रवण करे.
मन्त्र जाप –
व्रतकुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ |
निर्विघ्न कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
ॐ श्री गं गणपतये नमः
का जाप करे.
सबसे आखिरी में चन्द्रमा को दिए हुए मुहूर्त पर अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करे. जिस साल सिद्धि विनायक श्री गणेश जी का जनमोत्स्व व्रत रविवार और मंगलवार के दिन पड़ता है, उस साल इस व्रत को महाचतुर्थी व्रत कहा जाता है. महाचतुर्थी व्रत के दिन पूजा पाठ करे से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते है. मान्यता है की गणेश चतुर्थी के दिन व्यक्ति को काले और नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.
गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त(Ganesh chaturthi shubh muhurat) :-
आपको बता दे की गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:17 बजे शुरू होकर और रात 10 बजे तक रहेगा। तो ऐसे में आप 10 सितम्बर को 12 बजे के बाद कभी भी गणपति की स्थापना और पूजा आदि कर सकते है.
गणपति विसर्जन का समय(Ganesh chaturthi visarjan 2021) :-
इस साल अन्नत चतुर्दशी 19 सितम्बर 2021 को मनाई जाएगी। इस दिन गणपति को विदाई दी जाती है. इस साल चतुर्दशी तिथि 19 सितम्बर से शुरू होकर 20 सितम्बर तक रहेगी। इसमें गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त ये है –
सुबह का मुहूर्त – 7:39 से लेकर दोपहर 12:14 तक
दिन का मुहूर्त – दोपहर 1:46 से लेकर 3:18 तक
शाम का मुहूर्त – शाम 6:21 से लेकर 10:46 तक
रात का मुहूर्त – रात 1:43 से लेकर 3:11 तक(20 सितम्बर)
प्रातः काल मुहूर्त – सुबह 4:40 से लेकर 6:08 बजे तक(20 सितम्बर)
गणेश चतुर्थी के दिन न करे चन्द्रमा के दर्शन:-
मान्यता है की गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अगर भूलवश चन्द्रमा के दर्शन कर भी ले, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की और फेंक दे.
गणपति जी को तुलसी पत्ता न चढ़ाये :-
कहते है की गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढाने चाहिए। मान्यता है की तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था.
गणेश चतुर्थी कहाँ-कहाँ मनाया जाता है? :-
10 दिनों तक चलने वाला ये महान पर्व (गणेश चतुर्थी) देशभर में कई जगहों पर मनाया जाता है, जिसमे से महाराष्ट्र प्रदेश में यह त्यौहार बड़े-बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इसके अलावा यह पर्व तेलंगाना, कर्णाटक, बेंगलोर, हैदराबाद और भारत के कई जगहों पर मनाया जाता है.
गणेश चतुर्थी Quotes, Status , Wishes in हिंदी :-
Ganesh Chaturthi Quotes, Status , Wishes in English :-
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