एक ऐसे क्रांतिकारी व्यक्ति जिन्हें पानी पीने तक का अधिकार नहीं था उन्होंने मेहनत करके देश का संविधान लिखने तक का सफर कैसे प्राप्त किया. इंन्को लेकर लोग कई तरह के विचार रखते है बहुत से लोग ऐसे हैं जो इन से प्यार करते हैं और बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इनका काफी विरोध भी करते है तो आज हम उन सब के बारे में बात करेंगे और जानेंगे Ambedkar on Godse or Ambedkar on Gandhi के बारे मैं।
Babasaheb Ambedkar एक Profound Powerful leader, Powerful Politician, Women’s Emancipator, Economist, Prolific Writer, Theorist, Buddhism Revivalist थे। बाबासाहेब आंबेडकर अपने समय के बहुत ही बड़े Scholar हुआ करते थे. बाबासाहेब आंबेडकर ही भारत के Human Rights Profounder है.
भीमराव बाबासाहेब अंबेडकर जी को ही इस देश का Father Of Indian Constitution का दर्जा दिया जाता है. आगे हम जानेंगे बाबासाहेब अंबेडकर को यह किताब कब और कैसे मिला
शुरुआती जीवन ( Early Life )
बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 मैं एक दलित परिवार मे Mhow मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ अब उस गांव का नाम बदलकर डॉक्टर अंबेडकर नगर है। अंबेडकर अपने परिवार में 14th बच्चे थे जिनमें उनके तेरा और भाई बहन थे इनके पिता का नाम रामजी मलोजी सकपाल था जो कि एक आर्मी ऑफिसर थे। बाबासाहेब आंबेडकर एक मेहर दलित कास्ट से थे और उस समय उनके बहुत ही खराब हालत हुआ करती थी कि उस समय दलितों को अछूत माना जाता था दूसरी बड़ी कास्ट होकर लोग उनके हाथ का पानी पीना भी पसंद नहीं करते थे उनके साथ बैठना तो बहुत दूर की बात हुआ करती थी अंबेडकर ने अपने बचपन से ही उनके दलित होने के कारण बहुत कष्ट सहे है.
बाबासाहेब आंबेडकर का विवाह रमाबाई अंबेडकर सेवा उनसे उनकी कॉल 5 संताने थी

Discrimination in early life
क्योंकि एक दलित परिवार में जन्मे तो इनको पढ़ने का भी अधिकार नहीं था उस समाज में लेकिन बाबासाहेब आंबेडकर को पढ़ने का बहुत मन था तो उन्होंने अपने पास से अनुरोध किया कि ताजी मुझे पढ़ना है. इनके पिता ने किसी तरह जद्दोजहद करके उनका दाखिला उसी इलाके के एक सरकारी स्कूल में करवाया. लेकिन उसके बावजूद भी बाबासाहेब आंबेडकर को अंदर बाकी बच्चों के साथ बैठकर पढ़ने की अनुमति नहीं थी हमको बोला गया कि तुम क्लास के बाहर बैठकर पढ़ोगे. एक बार की बात है जब अंबेडकर जी को बहुत प्यास लगी थी तो उन्होंने एक कुएं से पानी निकालकर पी लिया तो वहां किसी व्यक्ति ने देखा कि यह दलित हमारे कुएं से पानी निकाल कर पी रहा है तो उसके कारणों में बहुत मार पड़ी. आप यह आज के समय में सोच सकते हैं कि एक छोटे से बच्चे को सिर्फ कुवे से पानी निकाल कर पीने के लिए मार पड़ी.
लोगों को उस समय दलितों के न केवल छूने से परेशानी थी बल्कि उनकी परछाई उनके आवाज सुनने तक से परेशानी हुआ करती थी वह यह सोचते थे कि अगर उनकी आवाज हमारे कानून आ गई उनकी परछाई हमारे खाने या किसी चीज पर भी पड़ गई तो वह अपवित्र हो जाएगा. इस प्रकार तक की डिस्क्रिमिनेशन झेलनी पड़ी बाबासाहेब आंबेडकर और उस समय के सारे दलितों को.
इनको संस्कृत जैसे विषय भी नहीं पढ़ाया जाता था उसे कहा जाता था कि संस्कृत व केवल ब्राह्मणों के लिए तुम तो दलित हो तुम्हें संस्कृत पढ़ कर क्या करना
शिक्षा ( Education )
अंबेडकर जी के साथ हुए भेदभाव और उनके साथ दुर्व्यवहार व्यवहार को देखते हुए उनके पिता सायाजी गायकवाड महाराज नाम राजा के पास लेकर गए और उन्हें सारी तकलीफ बताइ सायाजी महाराज ने उनकी तकलीफ समझते हुए और इनके पढ़ने की इच्छा को देखते हुए शायद एक आरपार महाराज ने इन्हें West में लंबी पढ़ाई करने के लिए भेज दिया. वहां से उन्होंने पहले इंग्लिश में इंटर करी uske bad Political Science मैं BA करी.
Political Science मैं BA करने के बाद वह निकल गए Columbia University New York से M.A करने और वहां से उन्होंने Political Science, Economy, History, Sociology मैं M.A की डिग्री प्राप्त की इसके बाद उन्होंने वहीं से PHD करी.
यहां भी वह रुके नहीं इतना में पीएचडी के बाद लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में Msc की डिग्री प्राप्त करने के लिए Admission लिया और वहीं से इन्होंने Law और Doctorate की डिग्री भी प्राप्त की.
Doctorate करने के बाद उन्होंने किताबों पर अपनी Thesis लिखि
जैसे कि The Evolution Of Provincial Finance in British India और The Problem Of The Rupee जिसके आधार पर आज Reserve Bank Of India निर्धारित है.

Discrimination In His Life
जब वह अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत वापस लौटे तो उन्होंने सयाजी गायकवाड महाराज से मुलाकात की और उन्होंने अंबेडकर जी को Military Secretary जनरल के पद पर नौकरी करने को कहा. उस समय यह नौकरी भी बड़ी मानी जाती थी. इससे अंबेडकर जी को पढ़ा पद तो मिल चुका था लेकिन उनका छुआछूत ने तब भी पीछा नहीं छोड़ा उनके ऑफिस में काम कर रहा है नौकर तक उन्हें हाथ में फाइल नहीं देते थे उनको फेंक कर फाइल दी जाती थी कहा जाता था तुम बड़े पद पर आ गए तो क्या हो तो तुम दलित ही.
इतनी सम्मानीय पद पर काम कर रहे व्यक्ति को भी उस समय कुएं से पानी देने का अधिकार नहीं था इस तरह की हालत थी देश में.
बाबासाहेब रवा बाय अंबेडकर के कुल 5 संतानें थी जिसमें से चार संताने थी जिसमें से चार संतानों की मृत्यु अच्छा इलाज ना होने के कारण हो गई ऐसे ही चलते कुछ समय बाद रमाबाई की भी मृत्यु हो गई.
Discrimination तो उस समय इस हद तक था कि दलित औरतों को पूरे पांव ढककर साड़ी पहनने तक का अधिकार नहीं था और ना ही किसी दलित को किसी सार्वजनिक स्थान के कुएं से पानी पीने तक का अधिकार था इसी कारण आगे चल बाबासाहेब अंबेडकर ने पूरे देश के सामने आवाज उठाई और ठान लिया कि अब तो दलितों को कुएं से पानी जीने का अधिकार एवं सब को सम्मान दिला कर रहूंगा.
बाबासाहेब आंबेडकर और राजनीति
Babasaheb Ambedkar ने देश के सामने दलितों के लिए communal electorate की मांग की जिसमें था कि सब दलितों की वोटिंग की सुविधा अलग हो.
लेकिन गांधीजी इस के हित में नहीं थे वह जानते थे कि यह अंग्रेजी हमारे देश को जातिवाद की चक्कर में अलग अलग करना चाहते हैं तो अगर वहीं दलितों को Communal Electorate मिल गया तो देश बट जाएगा इसने गांधी जी ने अंबेडकर जी को समझाया की अंबेडकर जी हम आपको रिजर्वेशन जला देंगे और जो आप मांग करेंगे वह सब आपको दिला दूंगा लेकिन अलग नहीं करेंगे क्योंकि जातियों के आधार पर अगर देश को अलग किया तो देश को कभी स्वतंत्रता नहीं मिल पाएगी लेकिन उस समय अंबेडकर जी नहीं माने इस कारण गांधीजी को अनशन पर बैठना पड़ा इससे अंबेडकर जी को लगा कहीं गांधी जी को कुछ हो ना जाए इस कारण उन्होंने गांधी जी की बात मान ली उसके बाद Poona pact sign किया गया इस Poona Pact के बाद दलितों को Reservation पक्का कर लिया.
1947 में जब भारत आजाद हुआ तब नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री कौन थे वाले थे तो वह अपनी कैबिनेट की पूरी लिस्ट लेकर गांधी के पास पहुंचे और उन्हें दिखाया की यह देखिए यह लोग हैं जो हमने अपने कैबिनेट के लिए चुने गए हैं गांधी ने पढ़कर सबसे पहला सवाल पूछा कि इसमें भीमराव अंबेडकर का नाम कहां है उसके बाद नेहरू थोड़ा उत्साह होने लगे थोड़ी दोनों में बहस हुई तो गांधी बोलो नेहरू जी केवल तुम्हारी करेंगे यह पूरा भारत की cabinet है. स्पेस के बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को कानून मंत्री के पद के लिए चुना गया इसके साथ है बाबासाहेब आंबेडकर को Drafting Community के Chairman भी बना दिया गया.

इसके बाद इन्होंने कानूनों में कई सारे Bill लाए जिसमें के एक हिंदू कोड पेन भी शामिल था इन्होंने और भी कई सारे कानून लाए जोकि Women’s को Empower करने के लिए लाए गए थे.
यह वह लीडर नहीं थे जो जो सत्ता के लिए लड़ा करते थे यह लड़ते थे उनके लिए जो देश में कमजोर वर्ग है उन्हें कैसे ऊपर उठाया जाए सब को समांतर सम्मान मिले. चाहे वह महिलाएं हो या वेद जाति धर्म के आधार पर हो रही भेदभाव इन्होंने सबके लिए काम किया.
बाबासाहेब आंबेडकर ने ड्राफ्टिंग कमिटी के लिए काम करते करते हैं इस देश का संविधान लिख दिया था जो कि आज आज तक पूरा देश उसी संविधान के बलबूते पर चल रहा है.
इनकी नीति बहुत ही सीधी है Educate, Agitate, Organise
बाबासाहेब आंबेडकर और गांधीजी
इतिहासकारों के द्वारा कहीं गई बातों से यह माना जाता है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और गांधी जी के बीच में काफी मतभेद थे इसके कई कारण है कि गांधीजी और बाबासाहेब अंबेडकर की विचारधारा भी बहुत अलग थी और दूसरी तरफ महात्मा गांधी जहां Spiritual हुआ करते थे वही बाबासाहेब अंबेडकर को बचपन से लेकर उनकी उस उम्र तक उन्हें उतना डिस्क्रिमिनेशन खेलना पढ़ा था कि उन्हें कास्टीज्म और धर्म के मानने वालों से घृणा होने लगी थी.
जहां गांधी से मानते थे की casteism धर्म का एक हिस्सा है लेकिन उसी के साथ साथ ही गांधी जी यह भी मानते थे की untouchability हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं है यह तो हिंदू धर्म के लिए एक पाप है.
इसके लिए गांधीजी ने एक All India Untouchability league की भी फाउंडेशन तैयार की जिसका नाम बाद में बदल कर हरिजन सेवक संघ रखा गया. लेकिन बाबासाहेब आंबेडकर ने बचपन से लेकर अब तक इतना कष्ट से चुके थे कि उन्होंने Hinduism छोड़ Buddhism को अपना लिया.
हालांकि बाबासाहेब अंबेडकर और गांधी जी के बीच में कई सारे मतभेद मन भी थे लेकिन जब बात इश्किया की थी तो दोनों ही देश के हित के बारे में सोचते थे बस फर्क इतना था जहां बाबासाहेब अंबेडकर दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों को उठाने के लिए लड़ाइयां करते थे वही गांधी ना केवल एक वर्ग एक धर्म एक व्यक्ति के बारे में सोच कर पूरे देश के हित के लिए जो सही होता वह फैसला करते थे
अंबेडकर बताते हैं कि वह काली से पहली बार दोनों के एक Common Friend के जरिए 1929 में मिले थे अंबेडकर के मित्र ने गांधी से अंबेडकर को मिलने की सलाह दी इसके बाद गांधी ने अंबेडकर को पत्र लिखकर मिलने की इच्छा जताई यह समय था जब Round Table Conference की जानी थी वहां मैंने गांधी को पहली बार देखा और मिला।

वह कहते हैं की मैं गांधी का विरोधी रहा हूं और मुझसे अच्छा शायद ही कोई उन्हें जानता हो क्योंकि उन्होंने मुझे हमेशा जहरीले दांत दिखाएं मैं इस कारण उस इंसान के भीतर झांककर देख पाया जबकि दूसरे लोग वहां सिर्फ भक्तों की तरह चाहते थे और कुछ नहीं देख पाते थे वही छवि देखते थे जो उन्हें अपनी महात्मा की बनाई हुई थी ।
लेकिन मैंने उनका मानवीय देखा है बिल्कुल साफ साफ इसलिए मैं यह कह सकता हूं कि मैंने गांधी के साथ जुड़े हुए लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से उन्हें समझा है।
जहां तक भारत की बात है तो वह इस देश के इतिहास का सिर्फ एक हिस्सा भर है कोई युग निर्माण करने वाले नही।
गांधी के जुड़े सारे सब यादें इस देश के लोगों के शहर सूचना चुकी है जो यादें बची हैं इसलिए क्योंकि कांग्रेस उनके चरणों में जीवन से जुड़े किस्से पास दिल पर छुट्टी देती है।
“I like The Religion That Teaches Equality, Libery, Fraternity”

बाबासाहेब अंबेडकर नाथूराम गोडसे के लिए क्या विचार रखते थे ( Ambedkar on Godse )
नाथूराम गोडसे क्योंकि आज पूरे देश को उनके बारे में सिर्फ इतना पता है कि इन्होंने 30 जनवरी 1948 को गोलीमार कर हत्या की थी लेकिन इसके पीछे इतिहास किसी ने ना कभी जाना ना कभी बताया गया।
हालांकि आज भी नाथूराम गॉडसे को लेकर देश में अलग-अलग विचार रखने वाले लोग मौजूद हैं कोई कहता है नाथूराम गोडसे एक सच्चे देशभक्त थे तो कोई उन्हें Terrorist और देश का पहला हत्यारा बताता है।
वही बाबासाहेब आंबेडकर की किताब letters of Ambedkar के Page number 205 मैं वह लिखते है कि गोड़से ने गांधी को मार्कर अच्छा किया अब देश मैं कुछ अच्छा हो पाएगा।
इतिहासकार बताते हैं कि इसके भी कई सारे अलग-अलग कारण थे जोकि बाबासाहेब आंबेडकर ही जानते थे उनमें से एक कारण यह भी था जिस समय भारत में औरतों के Rape Cases बाढ़ रहे थे तब गांधी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि औरतों को अगर रेप और कन्वर्ट होने से बचाना है तो उन्हें या तो जहर खा लेना चाहिए या फिर ख़ुद किसी और तरीके से अपनी जान ले लेनी चाहिए।
बाबासाहेब आंबेडकर को किस किस पुरुस्कार से नवाजा गया ?
वैसे तो बाबासाहेब अम्बेडकर को Universities की तरफ से सम्मानित किया है। जैसे की Columbia University ने इन्हें Number One Scholar In The World की उपाधि से नवाजा। भारतीय सरकार k द्वारा इन्हें Bharat Ratna से नवाजा गया।