एक महान मराठी हिन्दू योद्धा – छत्रपती शिवाजी महाराज
(A Great Marathi Hindu Warrior – Chatrapati Shivaji Maharaj)
“जरूरी नहीं है की विपत्ति का सामना दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता है | वीरता तो विजय में है |” – छत्रपती शिवाजी महाराज
Chhatrapati Shivaji Maharaj in Hindi :
Chhatrapati Shivaji Maharaj, जिनका नाम सुनते ही हर भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है | जब देश में हिंदुत्व पूरी तरह बिखरने की कगार पर था तब वो Chhatrapati Shivaji Maharaj ही थे जिन्होंने Hinduism को बचाकर रखा | Chhatrapati Shivaji Maharaj ने अपनी सूझबूझ की मदद से अपने स्वराज के मकसद के सपने को पूरा किया और Maratha Empire के संस्थापक बने | भारत देश में Chhatrapati Shivaji Maharaj जी को भगवान का दर्ज़ा दिया जाता है |
His Childhood And Education :
Chhatrapati Shivaji Maharaj का जन्म 19 February, 1930 में Pune के पास शिवनेरी (Shivneri) के किले में हुआ था | इनके पिता का नाम Shahaji Bhosle और माँ का नाम Jijabai था | उस समय उनके पिता सेनापति के तौर पर बीजापुर के किले के लिए काम करते थे | Shivaji की माँ बहुत धार्मिक थी इसलिए वो अक्सर उन्हें Ramayan(रामायण ), Mahabharat(महाभारत) और Bhagavad Gita(भगवद गीता) के बारे में पढ़ाती रहती थी | और यही वजह थी Shivaji बचपन से ही एक बहादुर बच्चे थे |
Shivaji के पिता अक्सर घर से बाहर रहते थे इसीलिए उन्होंने Shivaji और Jijabai के साथ पुरे शहर की जिम्मेदारी Daduji Kondev(दादूजी कोंडदेव) को सौप दी | और Daduji Kondev ने ही Shivaji को युद्धनीति, धनुषबाजी, तलवारबाज़ी और निशानेबाज़ी की विद्या दी | Daduji Kondev, Shivaji के गुरु माने जाते है |
His Natural Leadership :
Shivaji की माँ उन्हें Ramayana (रामायण ), Mahabharat (महाभारत) और Bhagavad Gita (भगवद गीता) के बारे में पढ़ाया करती थी इसीलिए उनके अंदर बचपन से ही एक Natural Leadership था | Shivaji ने स्वराज के सपने को पूरा करने के लिए स्थानीय किसानो और मावली में रहने वाले दोस्तो के साथ एक छोटी सी सेना तैयार कर ली | मावली में रहने वाले युवा बहुत बहादुर और साहसी थे पर कमी थी तो सही Guidance की और वो दिया Shivaji ने | Shivaji जानते थे की किसी भी साम्राज्य को बनाने के लिए सबसे जरुरी होते है किले, इसीलिए उन्होंने 1645 से सिर्फ 15 साल की उम्र से ही किलो पे अपना कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया |
Shivaji And Adil Shah :
सबसे पहले उन्होंने Adilshah के कमांडरो को रिश्वत देकर Torna और Chakar के किलो पे अपना कब्ज़ा जमा लिया | लेकिन जब यह बात बीजापुर के शाशक Adilshah को पता चली तो उसने Shivaji के पिता को बंदी बना लिया | हलाकि 1649 उनके पिता को इस शर्त पर रिहा किया गया की वो Torna का किला छोड़ देंगे | 7 साल बाद 1656 में Shivaji ने आकर्मण बोलकर फिर से Torna के किले पर अपना कब्ज़ा कर लिया |
और फिर Shivaji से परेशान होकर Adilshah के कमांडर Afzal Khan ने उनसे मिलने का न्योता भेजा और शर्त रखी की सभी लोग बिना हथियार आएगे | Shivaji को Afzal Khan पर भरोसा न था इसलिए उन्होंने अपने कपड़ो के नीचे का एक लोहे का कवच डाल लिया था और एक छोटा सा खंजर रख लिया था |
Shivaji ने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ | हट्टे कट्टे Afzal Khan ने Shivaji पर उसने हमला किया लेकिन लोहे की कवच से शिवाजी बच गए और उन्होंने अपने खंजर से Afzal Khan का सीना चीर दिया | इसके बाद 10 November 1659 के युद्ध में Sivaji के सेना ने Bijapur के सेना को हरा दिया | जिसको हम PratapGarh Yudh के नाम से जानते है|
Shivaji के युद्ध लड़ने की शैली कुछ इस तरह थी की जैसे की आजकल के Surgical Strike में होता है | उनकी सेना Guerilla Technique (छापामार युद्ध) में माहिर थी | और पहाडिओ में छिपते हुए युद्ध करने की नीति की वजह से Shivaji को Mount Rat की नाम से भी जाना जाता है |
Shivaji And Aurangzeb :
Shivaji को रोकने के लिए Bijapur के बड़ी बेगम ने Aurangzeb से मदद मांगी | उसने अपने मामा साइस्ता खान को 1.5 लाख सैनिको के साथ युद्ध लड़ने के लिए भेजा | साइस्ता खान ने अपनी विशाल सेना के दम पर पुणे पर कब्ज़ा कर लिया शिवाजी के निवास स्थान लाल महल पे अपना बसेरा डाल दिया | शिवाजी ने बड़ी चालाकी के साथ 40 बारातियो के भेष में पुणे में प्रवेश कर लिया | और रात में उन्होंने साइस्ता खान पर आक्रमण दिया | खान ने खिड़की से कूदकर अपनी जान बचा ली लेकिन इसमें उसके हाथ की तीन उंगलियां कट गयी |
अब औरंगज़ेब ने अपने सेना नायक राजा जय सिंह को शिवाजी से लड़ने के लिए भेजा | इस युद्ध में शिवाजी की हार हुई और उन्हें अपनी 23 किले और 4 लाख मुद्राये हर्जाने के रूप में देनी पड़ी | शिवाजी और उनके पुत्र संभाजी को आगरा जाना पड़ा | औरंगज़ेब ने शिवाजी को घर में बंद करने का आदेश दे दिया | औरंगज़ेब नहीं जनता था की यह गलती उसके लिए बहोत महँगी पड़ेगी | शिवाजी ने अपने स्वास्थ का बहाना बनाया और अपने स्वास्थ को ठीक करने के आशीर्वाद के लिए साधु, संतो और फकीरो को मिठाईया भेजने की इच्छा जताई | एक दिन शिवाजी ने शर्मिक के भेष में सामान के डिब्बों में अपने पुत्र संभाजी को झुपाकर बाहर निकल आये |
उसके बाद उन्होंने अपने सभी राज्य को मुगलों से स्वतंत्र करा लिया |
1671-1674 तक शिवाजी ने भरसक प्रयास किया शिवाजी को अपने अधीन करने का लेकिन वह बुरी तरह से असफल रहा |
Shivaji का राज्याभिषेक (Coronation) :-
इसी तरह कई राज्यों पर विजय पाने के बाद 1674 तक Shivaji के राज्य का अच्छा खासा विस्तार हो चुका था | और फिर West Maharashtra में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की नींव रखने के बाद Shivaji का राज्याभिषेक होना था लेकिन यहां पर ब्राह्मणों ने उनका विरोध किया क्योंकि वो चाहते थे कि Shivaji क्षत्रिय होने का प्रमाण दे | और फिर Varansi में रहने वाले Gaga Bhatt नाम के पंडित ने Shivaji का सम्बन्ध मेवाड़ के सीसोदिआ वंश के साथ जोड़कर क्षत्रिय होने का प्रमाण दिया |
जिससे संतुष्ट होकर ब्राह्मणों ने 6 June, 1674 को Shivaji का राज्याभिषेक किया |
His Death :
3 April , 1680 को तेज बुख़ार के कारण 52 साल की कम उम्र में हिन्दू धर्म के रक्षक कहे जाने वाले Chatripati Shivaji Maharaj का निधन हो गया | और जब उनकी चिता चल रही थी तब उनकी पत्निओ में से एक Putlabai ने चिता में ही कूदकर सती कर लिया था |
भारत में Chattrapati Shivaji Maharaj को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 19 February को Shivaji जयंती मनाया जाता है |